नई दिल्ली: कोरोना महामारी के चलते संसद के शीतकालीन सत्र को रद्द कर दिया गया है और जनवरी में सीधा बजट सत्र शुरु होने वाला है। ऐसे में एकबार फिर केन्द्र की मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है। इस बार मोदी सरकार पर सीधा निशाना साधा है माकपा ने। माकपा ने कहा है कि सरकार अपनी नाकामी छिपाने और विफलताओं के सवालों से बचने के लिए ऐसा कर रही है। माकपा ने एक स्टेटमेंट जारी कर कहा है कि विफलताओं की जवाबदेही से बचने के लिए केन्द्र महामारी का बहाना बना कर सत्र को टाल रही है।
पार्टी पोलित ब्यूरो की एक बैठक के बाद जारी एक बयान में मांग की गई है कि ‘सेंट्रल विस्टा परियोजना’ को भी रद्द किया जाय। साथ ही ये कहा गया है कि इस उद्देश्य के लिए आवंटित धनराशि का इस्तेमाल ‘‘हमारे जरूरतमंद लोगों को मुफ्त भोजन और नकद हस्तांतरण प्रदान करने के लिए किया जाये।’’ माकपा ने कहा, ‘‘पोलित ब्यूरो कोविड महामारी के बहाने संसद का शीतकालीन सत्र रद्द करने संबंधी फैसले की कड़े शब्दों में निंदा करता है।’’ इसमें कहा गया है कि भाजपा को अपने चुनाव अभियान और रैलियां करने के समय महामारी से कोई समस्या नहीं है, लेकिन ‘‘संसद के प्रति जवाबदेह होने से बचने के लिए’’ उसने महामारी को चुना।
बयान में कहा गया है, ‘‘इस तरह वह संसद के प्रति जवाबदेह होने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी से बच रही है।’’ आपको बता दें कि केंद्र ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण इस बार संसद का शीतकालीन सत्र आयोजित नहीं किया जाएगा। बयान में ऐसे समय में सेंट्रल विस्टा परियोजना की जरूरत पर सवाल उठाया गया है, जब देश महामारी से लड़ रहा है। किसान आन्दोलन को लेकर दिये बयान में पार्टी ने तीन कृषि कानूनों को रद्द किये जाने की अपनी मांग को दोहराया और इनके खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का स्वागत किया।