नई दिल्ली: किसानों के साथ 10 दौर की बातचीत के बात केन्द्र सरकार नए कृषि कानूनों को अगले एक से डेढ़ साल के लिए रोक सकती है। इस दौरान किसान संगठनों और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की तरफ से जो कमेटी बनाई गई है उनके बीच विचार-विमर्श और नए प्रस्तावों के साथ कुछ ना कुछ समाधान निकालने की कवायत जारी रहेगी। लेकिन किसान संगठनों का मानना है कि वो इस कानून तो पूरी तरह से निरस्त किया जाय, बिना उसके किसान आन्दोलन खत्म नहीं करेंगे। हालांकि इस नए कृषि कानूनों के कुछ समय तक टालने के लिए कृषि मंत्रालय ने बयान जारी कर इसकी जानकारी दी है।
अब कहने वाले ये कह रहे हैं कि केन्द्र सरकार (Central Government) का ये विचार एक नए दांव की तरह है जो सरकार के लिए मास्टर स्ट्रोक भी हो सकता है। कुछ जानकारों का तो कहना है कि सरकार अगर ये फैसला करने भी वाली है तो वो राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ यानि आरएसएस (RSS) के हस्तक्षेप के बाद कर रही है। वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों का ये भी कहना है कि इस नए कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद सरकार के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है इसलिए सरकार इस कानून पर कुछ समय के लिए रोक लगाने का मन बना रही है।
कुछ जानकार तो इसे सरकार का मास्टर स्ट्रोक कह रहे हैं। क्यों ये मास्टर स्ट्रोक कह रहे हैं, यहां समझिये…दरअसल अगले कुछ महीनों में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। किसान आन्दोलन की वजह से उन राज्यों में चुनाव प्रभावित हो सकते हैं और इसका रिस्क बीजेपी किसी भी कीमत पर नहीं लेगी और ना ही पार्टी उस स्थिति में ही है। यहां तो हैरान करने वाली बात ये भी है कि जिस कानून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) किसानों के लिए हितकर बताते थे, यहां तक कि जिस कानून के लिए पीएम मोदी अपने सहयोगी अकाली दल के टूट जाने तक की परवाग नहीं की, उस कानून को कुछ समय के लिए स्थगित करने के लिए सरकार का राजी हो जाना, कई तरह के सवाल खड़ा करता है।
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